बदचलन बहु को रात भर ससुर और पति ने चोदा एक साथ (Badchalan Bahu Ko Raat Bhar Sasur Aur Pati Ne Choda Ek Saath)

October 18, 2025

मैं, रानी, अपनी कहानी खुद सुना रही हूँ। हाँ, मैंने खुद को बदचलन कहा, लेकिन ये आप तय करें कि मैं बदचलन हूँ या सही। अगर मैं रात को पड़ोस के लड़के से चुदाई करवाते पकड़ी गई, तो इसमें किसका दोष है? मेरा? मेरे हरामी पति का? या मेरे दोगले ससुर का? आप ही बताइए। मैं तो बस उस रात की हर एक बात, एक-एक पल, खुलकर बताऊँगी। कैसे मैंने उस लड़के को चोदने के लिए बुलाया, कैसे पकड़ी गई, और फिर कैसे मेरे ससुर और पति ने मिलकर मुझे रात भर चोदा। हर डिटेल, हर एहसास, सब कुछ बता रही हूँ।

ये बात कुछ महीने पहले की है। मैं दिल्ली में रहती हूँ, अपने पति रवि और ससुर रामलाल के साथ। मेरे पति इकलौते बेटे हैं, और मेरी सास का देहांत हो चुका है। घर में बस मैं, रवि और ससुर हैं। मैं, 28 साल की हूँ, गोरी, भरे-भरे जिस्म वाली, मेरी चूचियाँ 36D की हैं, और गांड इतनी भारी कि जब मैं चलती हूँ, तो लोग घूरते हैं। लेकिन दोस्तों, मेरी व्यथा किसे सुनाऊँ? शादी को तीन साल हो गए, पर मेरा पति मुझे बिस्तर पर खुश नहीं कर पाता। उसका लंड छोटा है, और वो दो मिनट में ही ढेर हो जाता है। सेक्स की भूख मेरे जिस्म में आग की तरह जलती है, पर रवि उसे बुझा नहीं पाता।

आप बताइए, औरत हो या मर्द, अगर सेक्स की भूख न मिटे, तो क्या करेगा? इधर-उधर मुँह मारेगा ना? मैं भी इंसान हूँ, मेरी भी जरूरतें हैं। लेकिन ये बात किसी से कह भी तो नहीं सकती। धीरे-धीरे मेरा मन भटकने लगा। मैं ढूँढने लगी किसी ऐसे मर्द को, जो मेरी चूत की आग बुझा सके, जो मुझे वो सुख दे सके, जो मैं तरस रही थी।

मेरे पड़ोस में एक लड़का रहता है, विक्की। 25 साल का, लंबा, गोरा, जिम में कसरत करता है, और ऐसा स्टाइल मारता है कि कोई भी औरत उसकी तरफ खिंच जाए। उसकी चौड़ी छाती, मस्कुलर बाजुएँ, और वो चेहरा… हाय! मैं तो उसकी एक झलक से ही पिघलने लगी। धीरे-धीरे मैंने उससे बात शुरू की। पहले तो बस हाय-हैलो, फिर व्हाट्सएप पर चैट। बातें बढ़ीं, और जल्द ही हम खुलकर गंदी बातें करने लगे। मैंने उसे अपनी नंगी तस्वीरें भेजीं—मेरी चूचियाँ, मेरी गांड, मेरी गीली चूत। उसने भी अपने मोटे, 7 इंच के लंड की फोटो भेजी। उसका लंड देखकर मेरी चूत में आग लग जाती थी।

पहले दो बार हमने चुदाई की थी। एक बार उसके घर पर, जब उसकी फैमिली बाहर थी, और दूसरी बार मेरे घर में, जब रवि और ससुर बाहर गए थे। लेकिन वो चुदाई छोटी-मोटी थी, जल्दबाजी में। मैं चाहती थी कि खुलकर, बिना डर के, पूरी रात चुदाई करूँ। मैं चाहती थी कि मेरा जिस्म तृप्त हो, मेरी चूत की प्यास बुझे।

एक दिन मौका मिल गया। रवि और ससुर को भटिंडा जाना था, ज़मीन-जायदाद के कुछ काम के लिए। मुझे पहले से पता था कि वो दो दिन के लिए जा रहे हैं। मैंने विक्की को बता दिया। लेकिन उस दिन वो किसी काम से बाहर था, तो बात नहीं बनी। तीसरे दिन शाम को उसका फोन आया। “रानी, मैं आज फ्री हूँ। तेरे ससुर और पति घर पर हैं क्या?” मैंने कहा, “नहीं, वो बस से आ रहे हैं। सुबह तक पहुँचेंगे। उनके फोन आ चुके हैं।” मैंने उसे रात 9 बजे का टाइम दे दिया। मुझे कोई डर नहीं था, क्योंकि मुझे यकीन था कि रवि और ससुर सुबह से पहले नहीं आएँगे।

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ठीक 9 बजे विक्की आया। उसने काले रंग की टी-शर्ट और जीन्स पहनी थी। मैंने एक पतली, पारदर्शी नाइटी पहनी थी, जिसके नीचे सिर्फ़ लाल रंग की ब्रा और पैंटी थी। जैसे ही वो अंदर आया, मैंने दरवाज़ा बंद किया। हम एक-दूसरे के गले लग गए। वो मेरे होंठों को चूमने लगा, मैं उसकी जीभ को चूसने लगी। उसका हाथ मेरी चूचियों पर गया, और वो ज़ोर-ज़ोर से उन्हें दबाने लगा। “आह्ह… विक्की…” मैं सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने उसकी जीन्स के ऊपर से उसका लंड पकड़ा। वो पहले से ही खड़ा और मोटा था। “रानी, तू तो आज माल लग रही है,” उसने कहा और मेरी नाइटी को ऊपर उठाकर मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को सहलाने लगा।

हम जल्दबाजी नहीं करना चाहते थे। मेरे पास पूरी रात थी। मैंने कहा, “विक्की, आज तू मुझे पूरा मज़ा दे। मेरी चूत को तृप्त कर दे।” वो हँसा और बोला, “साली, आज तेरी चूत फाड़ दूँगा।” हम दोनों ड्रॉइंग रूम में ही नंगे हो गए। मैंने उसकी टी-शर्ट और जीन्स उतारी। उसका 7 इंच का लंड लोहे की तरह खड़ा था। मैंने अपनी नाइटी, ब्रा और पैंटी उतार दी। मेरी चूचियाँ आज़ाद होकर लटक रही थीं। हम नंगे होकर एक-दूसरे को छूने लगे। वो मेरी चूचियों को चूस रहा था, मेरे निप्पल्स को काट रहा था। “आह्ह… ऊह्ह… विक्की, और चूस…” मैं सिसकार रही थी। मैंने उसका लंड पकड़ा और उसे सहलाने लगी। फिर मैं घुटनों पर बैठ गई और उसका लंड मुँह में ले लिया। “स्स्स… रानी, तू तो रंडी की तरह चूस रही है,” वो बोला। मैंने उसका लंड गले तक लिया, चूसा, चाटा। उसका लंड मेरे थूक से चमक रहा था।

वो मुझे उठाकर सोफे पर ले गया। मेरी टाँगें फैलाईं और मेरी चूत को चाटने लगा। “आह्ह… ऊह्ह… विक्की, हाय…” उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। वो मेरी चूत में उंगली डालने लगा। एक, फिर दो उंगलियाँ। “रानी, तेरी चूत तो पूरी गीली है। तू तो रंडी है,” वो बोला। मैंने कहा, “हाँ, मैं रंडी हूँ। अब चोद दे मुझे।” वो उठा, अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर सेट किया। मैंने कंडोम का पैकेट टेबल पर रखा था। उसने कंडोम पहना और एक ज़ोरदार धक्का मारा। “आआह्ह…” मेरी चीख निकल गई। उसका मोटा लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया। “चटाक… चटाक…” की आवाज़ गूँजने लगी। वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था। “आह्ह… विक्की, चोद… और ज़ोर से…” मैं चिल्ला रही थी। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। वो मेरी चूचियों को दबाते हुए मुझे चोद रहा था।

“रानी, तेरी चूत कितनी टाइट है… आह्ह…” वो बोला। मैं गांड उठा-उठाकर उसका साथ दे रही थी। “हाँ, विक्की… फाड़ दे मेरी चूत… और ज़ोर से…” मैं पागल हो रही थी। मेरे जिस्म में बिजली दौड़ रही थी। वो मुझे 15 मिनट तक चोदता रहा। फिर उसने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी गांड में उंगली डाली और फिर अपना लंड मेरी चूत में डालकर पेलने लगा। “पट… पट…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। “आह्ह… ऊह्ह… हाय… चोद…” मैं सिसकार रही थी। मेरी चूत बार-बार झड़ रही थी। लेकिन तभी, रात के करीब 10:30 बजे, घर की बेल बजी।

मैं हैरान थी। इतनी रात को कौन? मुझे यकीन था कि रवि और ससुर सुबह से पहले नहीं आएँगे। मैंने सोचा, कोई और होगा, चला जाएगा। मैंने जल्दी से अपनी नाइटी डाल ली। अंदर ब्रा-पैंटी नहीं पहनी। विक्की ने अपनी जीन्स और टी-शर्ट पहन ली। मैं दरवाज़े के पास गई। जैसे ही दरवाज़ा खोला, मैं दंग रह गई। मेरे पति रवि और ससुर रामलाल दोनों खड़े थे। मैं हकलाते हुए बोली, “आप लोग? इस वक्त?” रवि ने कहा, “हाँ, जल्दी आ गए। बस से नहीं, यमुना बाज़ार वाले अपनी कार से आ रहे थे। वो अकेले थे, तो हम उनके साथ आ गए। दो घंटे पहले ही निकल पड़े थे।”

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मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई। तभी विक्की कमरे से निकलकर गेट के पास आ गया। मैंने दरवाज़ा खुला छोड़ दिया था। वो तुरंत बाहर निकलकर भाग गया। रवि और रामलाल को सब समझ आ गया। मेरी ब्रा और पैंटी फर्श पर पड़ी थीं। कंडोम का पैकेट टेबल पर था। रामलाल ने पहले मेरी ब्रा-पैंटी देखी, फिर कंडोम का पैकेट। रवि गुस्से से लाल हो गया। “साली, ये क्या कर रही थी? बदचलन कहीं की!” वो चिल्लाया। रामलाल ने भी गालियाँ देना शुरू किया, “रंडी, तुझे शर्म नहीं आती? हमारे पीठ पीछे ये सब?”

मैं डर गई थी, लेकिन गुस्सा भी आ रहा था। मैंने चिल्लाकर कहा, “हाँ, मैंने ये सब किया! लेकिन क्यों? क्योंकि तुम मुझे चोद नहीं पाते, रवि! तुम मुझे खुश नहीं कर पाते! मेरी चूत की भूख मिटती नहीं, तो मैं क्या करूँ? मर जाऊँ?” ये सुनकर वो दोनों और भड़क गए। रामलाल ने गेट बंद किया और बोला, “साली, आज तेरी चूत की गर्मी निकाल देते हैं।” रवि ने कहा, “तुझे मोटा लंड चाहिए? आज हम दोनों तुझे चोदकर तेरी प्यास बुझाएँगे।”

वो मुझे पकड़कर बेडरूम में ले गए। मैं अभी भी सिर्फ़ नाइटी में थी। रामलाल ने मेरी नाइटी फाड़ दी। मैं पूरी नंगी थी। मेरी चूचियाँ लटक रही थीं, मेरी चूत अभी भी गीली थी। रवि ने अपने कपड़े उतारे। उसका लंड, जो पहले कभी इतना जोश में नहीं दिखा, आज खड़ा और मोटा था। रामलाल ने भी अपनी शर्ट और पैंट उतार दी। उसका लंड भी 6 इंच का था, और उम्र के हिसाब से काफी मोटा। मैं डर रही थी, लेकिन मेरे जिस्म में फिर से आग लग रही थी।

रवि ने मुझे बेड पर धक्का दिया। “ले, साली, अब चूस,” उसने कहा और अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने उसका लंड चूसना शुरू किया। “स्स्स… रानी, तू तो रंडी की तरह चूसती है,” वो बोला। रामलाल मेरी चूचियों को दबा रहा था। फिर उसने मेरी टाँगें फैलाईं और मेरी चूत को चाटने लगा। “आह्ह… ससुर जी…” मैं सिसकारी। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को चाट रही थी। मैं पागल हो रही थी। रवि मेरे मुँह में धक्के मार रहा था। फिर रामलाल ने कहा, “बस, अब मेरी बारी।” उसने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी गांड में उंगली डाली। “आह्ह… धीरे…” मैं चिल्लाई। लेकिन उसने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और ज़ोर-ज़ोर से पेलने लगा। “चटाक… चटाक…” की आवाज़ गूँज रही थी।

“साली, मज़ा आ रहा है ना? ले, और ले!” रामलाल चिल्ला रहा था। रवि मेरी चूचियों को दबा रहा था। फिर वो मेरे सामने आया और अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मैं एक तरफ ससुर से चुद रही थी, दूसरी तरफ पति का लंड चूस रही थी। “आह्ह… ऊह्ह… चोदो… और ज़ोर से…” मैं सिसकार रही थी। रामलाल ने 10 मिनट तक मेरी चूत पेली, फिर उसने मुझे उलट दिया और मेरी गांड में अपना लंड डाल दिया। “आआह्ह… ससुर जी, धीरे… मेरी गांड फट जाएगी…” मैं चिल्लाई। लेकिन वो रुका नहीं। “साली, तेरी गांड तो टाइट है। ले, अब फाड़ता हूँ,” वो बोला और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। “पट… पट…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी।

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रवि ने कहा, “अब मेरी बारी।” उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी चूत में अपना लंड डाला। “आह्ह… रवि, चोद… फाड़ दे मेरी चूत…” मैं चिल्ला रही थी। वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। रामलाल मेरे मुँह में अपना लंड डालकर चुसवा रहा था। “स्स्स… रानी, तू तो रंडी से भी बढ़कर है,” वो बोला। मैं बार-बार झड़ रही थी। मेरी चूत से पानी निकल रहा था। वो दोनों बारी-बारी से मुझे चोद रहे थे। कभी रवि मेरी चूत पेलता, कभी रामलाल मेरी गांड मारता। पूरी रात वो मुझे उलट-पुलटकर चोदते रहे। “आह्ह… ऊह्ह… चोदो… और ज़ोर से…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।

सच कहूँ, मुझे ऐसी चुदाई चाहिए थी। मैं नाराज़ नहीं थी। वो गुस्से में थे, लेकिन मैं मज़े ले रही थी। भाड़ में जाए रिश्ते, भाड़ में जाए नाते। मुझे तो बस चुदना था, और वो दोनों मुझे वो सुख दे रहे थे। सुबह तक वो दोनों मुझे चोदते रहे। रवि का लंड पहले से ज़्यादा जोश में था। शायद मेरी बातों ने उसकी मर्दानगी को ललकार लिया था। रामलाल को भी सालों बाद ऐसी चूत मिली थी, तो वो भी पागल होकर चोद रहा था।

सुबह जब वो रुके, तो मैं तृप्त थी। मेरी चूत और गांड दोनों सुन्न हो चुकी थीं। लेकिन मैं खुश थी। पहली बार मुझे ऐसा सुख मिला था। रवि ने कहा, “रानी, अब तुझे बाहर मुँह मारने की ज़रूरत नहीं। हम दोनों तुझे संतुष्ट करेंगे।” रामलाल ने हँसकर कहा, “हाँ, साली, तेरी चूत की गर्मी हम बुझाएँगे।”

अब तो मैं रोज़ चुदती हूँ। कभी रवि, कभी रामलाल। कभी-कभी दोनों मिलकर। गलत काम भी कभी-कभी सही हो जाता है। अब मैं संतुष्ट हूँ। चुदाई का मज़ा ले रही हूँ। वो दोनों भी मुझसे खुश हैं। कोई गिला-शिकवा नहीं। हम तीनों खुशी-खुशी रह रहे हैं।

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