मौसी की चूत चुदाई देखते पकड़ी गई (Shammo Ki Raat Wali Chudai)

October 13, 2025

हाय दोस्तों, मेरा नाम शम्मो है, उम्र 22 साल, गोरा रंग, और बदन ऐसा कि गली के लड़के मेरी एक झलक के लिए तरसते हैं। मेरी चूचियाँ 34D की हैं, गोल-मटोल, कमर पतली, और गाण्ड इतनी उभरी हुई कि मर्दों का लण्ड अपने आप खड़ा हो जाए। मैं कोई तवायफ नहीं, बस एक साधारण लड़की हूँ, जो अपनी मर्जी से जिंदगी जीती है। मेरे अब्बा कानपुर की एक घनी बस्ती में परचून की दुकान चलाते हैं, और मेरा भाई उनकी मदद करता है। हमारा घर पुराना है, कमरों के बीच बस परदे लटकते हैं, दरवाजे नहीं। यहाँ गालियाँ देना बोलचाल का हिस्सा है, और मैं भी इसमें माहिर हूँ। “भेनचोद”, “मादरचोद” जैसे शब्द मेरी जुबान पर चढ़े रहते हैं, और मुझे इसमें कोई शर्म नहीं।

अब बात उस रात की, जब मेरे घर में मेरी छोटी मौसी रुखसाना और मौसा जी आए थे। मौसी 32 साल की हैं, भरा हुआ बदन, 36C की चूचियाँ, और गाण्ड इतनी मस्त कि देखकर किसी का भी लण्ड तन जाए। मौसा जी 38 के हैं, कड़क बदन, और चुदाई में उस्ताद। मैं हर रात उनकी चुदाई चुपके से देखती थी, और अपनी चूत में उंगलियाँ डालकर प्यास बुझाती थी। उस रात भी मैं चुपके से छत पर चली गई, जहाँ मौसी और मौसा जी अपनी रंगरेलियाँ मना रहे थे।

चाँदनी रात थी, और छत पर सब कुछ साफ दिख रहा था। मैं एक कोने में छुपकर झाँक रही थी। मौसी की साड़ी कमर तक उठी थी, और मौसा जी उनकी गाण्ड में अपना मोटा, साढ़े सात इंच का लण्ड ठोक रहे थे। मौसी की सिसकारियाँ, “आह… ऊई… धीरे करो, मादरचोद!” और मौसा जी का जवाब, “चुप साली, ले मेरा लौड़ा!” मेरी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने अपनी सलवार नीचे सरकाई, और उंगलियाँ अपनी चूत की कलियों पर रगड़ने लगी। मेरे चूचक कड़क हो गए, और मैं सिसकारियाँ दबाते हुए मजे ले रही थी। तभी पीछे से एक फुसफुसाहट आई, “दीदी, शीऽऽऽ, इधर आओ!”

मैं चौंक गई। ये शफीक था, मेरा पड़ोसी, 24 साल का, लंबा, दुबला-पतला, लेकिन लण्ड का शौकीन। उसका चेहरा शरारत से भरा था। “हाय, मैं मर गई, तू यहाँ क्या कर रहा है?” मैंने धीरे से पूछा।

“आओ जल्दी, मामला गर्म है!” उसने मुझे दूसरी मंजिल की छत पर खींच लिया। वहाँ से मौसी और मौसा जी का खेल साफ दिख रहा था। शफीक ने कहा, “देखो, मौसा जी को गाण्ड मारने का बड़ा शौक है।” मैं शरमा गई, लेकिन मेरी चूत में आग लगी थी। मौसी की गाण्ड के चूतड़ हिल रहे थे, और मौसा जी का लण्ड फच-फच की आवाज के साथ अंदर-बाहर हो रहा था। मौसी की सिसकारियाँ, “आह… ऊऊऊ… और जोर से, हरामी!” मेरे बदन में करंट दौड़ा रहा था।

शफीक मेरे पीछे खड़ा था, और उसका लण्ड मेरी गाण्ड को छू रहा था। मैंने सोचा, “भेनचोद, ये तो मेरी लेने की फिराक में है।” उसने धीरे से मेरी गाण्ड पर हाथ फेरा, और मेरे बदन में झुरझुरी दौड़ गई। “धीरे मार, चपटी हो जाएगी, भेनचोद!” मैंने हँसते हुए कहा।

“आपा, कितना मस्त लग रहा है!” उसने मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए कहा। उसका लण्ड अब साढ़े छह इंच का मूसल बन चुका था, जो उसकी पैंट में तंबू बनाए हुए था। मैंने उससे चिपकते हुए कहा, “देख, किसी को बताना मत कि हमने ये सब देखा।”

“अरे, ये कोई बताता है क्या? तेरे चूतड़ तो मस्त हैं, शम्मो!” उसने मेरी गाण्ड को जोर से दबाया। मैं मस्ती में डूबने लगी। “और सुन, तू जो कर रहा है, वो भी मत बताना!” मैंने झिझकते हुए कहा।

उसने मेरी गाण्ड को और जोर से मसला, और बोला, “बानो, अपन भी ऐसा करें?” उसका लण्ड मेरी गाण्ड की दरार में दब रहा था। मेरी चूत में आग लग चुकी थी। मैंने जानबूझकर पूछा, “क्या करें?”

“तू गाण्ड मराएगी?” उसने मेरी चूचियों को जोर से दबाते हुए कहा। मेरी सलवार पहले ही नीचे थी, और कुर्ता ऊपर उठा हुआ था। मेरी चूचियाँ बाहर निकलकर उछल रही थीं, और मेरे चूचक कड़क हो चुके थे। शफीक ने मेरी चूचियों को पकड़कर जोर से मसला, “हाय, बानो, तेरे चूचे तो मलाई जैसे हैं!”

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“चूचे मचकाना तुझे अच्छा लगता है, हरामी?” मैंने कुर्ता पूरा उतारते हुए कहा। मेरी चूचियाँ चाँदनी में चमक रही थीं। उसने मेरी चूचियों को दोनों हाथों से पकड़ा, चूचकों को उंगलियों से मरोड़ा, और धीरे से चूसना शुरू किया। “आह… ऊई… मादरचोद, कितना मस्त चूस रहा है!” मैं सिसकार उठी। उसकी जीभ मेरे चूचकों पर गोल-गोल घूम रही थी, और मेरी चूत लसलसाने लगी।

उसने मेरी सलवार को पूरी तरह उतार दिया, और मैं सिर्फ पैंटी में रह गई। उसने मेरी पैंटी पर उंगलियाँ फिराईं, जहाँ मेरी चूत का गीलापन साफ दिख रहा था। “शम्मो, तेरी चूत तो चू रही है!” उसने मेरी पैंटी उतारी, और मेरी चिकनी चूत को देखकर सिसकारी भरी। उसने अपनी उंगली मेरी चूत की कलियों पर रगड़ी, और मैं “आह… ऊऊऊ…” करके तड़प उठी।

“रुक, भेनचोद, मुझे और तड़पा!” मैंने कहा, और उसने मेरी चूत पर अपनी जीभ रख दी। उसकी गर्म जीभ मेरी चूत की दरार में घूम रही थी, और मैं पागल हो रही थी। “हाय… ऊई… चूस ले, हरामी, मेरी चूत को चाट डाल!” मैंने सिसकारियाँ भरीं। उसने मेरी चूत की कलियों को चूसा, और एक उंगली अंदर डाल दी। मेरी चूत टाइट थी, लेकिन गीली होने की वजह से उंगली आसानी से अंदर-बाहर होने लगी। “फच… फच…” की आवाज के साथ मेरी चूत पानी छोड़ रही थी।

उसने मुझे घुमाया, और मेरी गाण्ड की तरफ झुका। “शम्मो, तेरी गाण्ड तो चाँद जैसी चमक रही है!” उसने मेरे चूतड़ों को सहलाया, और धीरे से थपकी मारी। “आह… मादरचोद, मार ना, और जोर से!” मैंने कहा। उसने मेरे चूतड़ों को दोनों हाथों से फैलाया, और मेरी गाण्ड के छेद पर अपनी जीभ फिराई। “ऊई… ये क्या कर रहा है, हरामी?” मैं सिहर उठी। उसकी जीभ मेरे छेद को चाट रही थी, और मेरे बदन में आग लग रही थी।

उसने अपनी उंगली पर थूक लगाया, और मेरी गाण्ड के छेद पर मल दिया। “तैयार हो, बानो?” उसने पूछा, और मैंने हँसकर कहा, “घुसा दे, भेनचोद, मेरी गाण्ड फाड़ डाल!” उसने अपना लण्ड, जो अब साढ़े छह इंच का कड़क मूसल था, मेरी गाण्ड के छेद पर रखा और धीरे से दबाया। “आह… ऊई… धीरे, मादरचोद!” मैंने सिसकारी भरी। मेरी गाण्ड मराने की आदत थी, छेद पहले से बड़ा था, तो लण्ड धीरे-धीरे अंदर सरक गया।

“हाय… कितना मोटा है, भाई जान!” मैंने कहा। उसने धक्के शुरू किए, और फच-फच की आवाज गूँजने लगी। “शम्मो, तेरी गाण्ड तो रगड़ी हुई है, कितने लौड़े खाए हैं?” उसने हँसते हुए पूछा। “और क्या? माजिद चाचा हर दो-तीन दिन में मेरी गाण्ड ठोकता है, हरामी मस्त मजा देता है!” मैंने लण्ड का मजा लेते हुए कहा। उसका लण्ड मेरी गाण्ड में मूसल की तरह अंदर-बाहर हो रहा था। “साला, तेरा लौड़ा तो चिकनी चूत में जैसे जाता है!” उसने रफ्तार बढ़ाते हुए कहा।

मेरी गाण्ड खुली हवा में चुद रही थी, ठंडी हवा मेरे नंगे बदन को सहला रही थी। उसने मेरी चूचियों को मल-मलकर लाल कर दिया। मैंने टाँगें और चौड़ी कीं, ताकि लण्ड और गहरा जाए। “आह… ऊऊऊ… और जोर से, भेनचोद!” मैं चिल्लाई। अचानक उसने लण्ड बाहर निकाला, और “आह… ऊई…” कहते हुए मेरी गाण्ड पर वीर्य छोड़ दिया।

“भेनचोद, सारा माल गाण्ड पर निकाल दिया!” मैंने गुस्से में कहा। मेरी चूत वासना से बेकाबू थी। “अब मेरी चूत क्या तेरा भाई चोदेगा, हरामी? देख, कैसी चू रही है!”

“अरे, तुझे छोड़ दूँगा क्या? देख, तेरे भोसड़े को कैसे चोदता हूँ!” उसने मुझे बाहों में उठाया, और सीढ़ियों के पास पत्थर की बेंच पर लेटा दिया, जहाँ उसका बिस्तर पड़ा था। उसने अपना लण्ड मेरे मुँह में घुसा दिया। मैंने लौड़े को चूस-चूसकर फिर से खड़ा कर दिया। “हाय… शम्मो, तू तो रण्डी की तरह चूसती है!” उसने सिसकारी भरी। मैंने उसका लण्ड चाटा, सुपाड़े पर जीभ फिराई, और गोलियों को मुँह में लिया। “आह… ऊई… और चूस, साली!” उसने कहा।

लण्ड खड़ा होते ही उसने मुझे बिस्तर के किनारे खींचा। मैंने अपनी चूत को बनियान से पोंछा, और दोनों हाथों से चूत की कलियाँ खोल दीं। उसने अपना कड़क लण्ड मेरी चूत पर रगड़ा, और धीरे से घुसा दिया। “आह… ऊई… मादरचोद, कितना मोटा है!” मेरी सिसकारी निकल पड़ी। चूत सूखी थी, तो लण्ड रगड़ता हुआ अंदर गया। “हाय… भाई जान, रगड़ कितनी मस्त है!” मैंने कहा।

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उसने धक्के शुरू किए, और मैं अपनी गाण्ड उछालने लगी। फच-फच की आवाज के साथ लण्ड मेरी चूत में जड़ तक उतर रहा था। उसने मेरी चूचियों को मसलना शुरू किया, मेरे चूचक घुमा-घुमाकर दबाए। “आह… ऊऊऊ… मसल दे, भेनचोद!” मैं चिल्लाई। मेरी चूत फिर से लसलसाने लगी, पानी छोड़ने लगी। “फच… फच… फच…” की आवाजें गूँज रही थीं। “मस्त चूत है, बानो, मलाई जैसी!” उसने कहा।

“पेल दे, हरामी, फाड़ दे मेरी चूत!” मैं चुदाई के नशे में चिल्ला रही थी। मेरी चूत उसके लण्ड को अंदर से लपेट रही थी, जैसे चूस रही हो। मैं झड़ने वाली थी। “हाय… भाई जान, मेरा निकल रहा है… आह… ऊई… ऊऊऊ…” मेरी चूत में लहरें उठीं, और मैं झड़ गई। उसी वक्त उसका वीर्य भी मेरी चूत में भरने लगा। हम दोनों एक-दूसरे को चूमते हुए झड़ रहे थे।

कुछ देर बाद हम बिस्तर पर बैठ गए। “मां की लौड़ी, तू तो मस्त है! कल फिर चुदाएगी ना?” उसने हँसते हुए पूछा।

“अपनी माँ को चोद, भोसड़ी के! कल किसी और का नंबर है। अलग-अलग लौड़ों का मजा लेने में ही सुकून है!” मैंने हँसकर कहा।

“साली रण्डी, अभी रुक, तेरी गाण्ड एक बार और फाड़ता हूँ!” वो मुझ पर लपका। मैं जल्दी से उठी, उसे उंगली दिखाकर चिढ़ाया, और हँसते हुए दीवार फाँदकर भाग गई। “ले ले, मेरी भोसड़ी ले ले! अब मुठ मार ले!” मैंने सीढ़ियाँ उतरते हुए चिल्लाया। वो छत पर हँसते हुए हाथ हिला रहा था।

दोस्तों, मेरी भाषा थोड़ी गंदी है, माफ करना। आपकी राय क्या है? नीचे कमेंट करें!

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